Sunday, December 28, 2008

जीवन साथी ................



ज़िन्दगी की राहों पे......
हम चले थे साथ मिल कर
तुम से मुझे हर ख़ुशी मिली
दोस्ती मिली उम्र भर की
ओर मिला साथ जन्मो का
वक़्त बदला......
मै ठहरी रही
तुम आगे बढते रहे
ज़िन्दगी की राहों पे
मैंने तलाशती रही तुम्हे
तुम माया के संसार मे
अपने को डुबोते चले गये.........
जिन सपनो को संजोया था
हमने साथ मिल कर
तुम्हारी चाहतो के तले
वोह दबते चले गये.....
ज़िन्दगी की राहों पे......
हम चले थे साथ मिल कर.....
वक़त ने ली है
फिर करवट तो. ..
अपनों के साथ को फिर से
पाने की लालसा ..तुम करने लगे हो...
पर ..
अपने तो अपने है ..
साथ कब छोड़ते है
जीवन की राहों पे

अब तुम भी चलोगे
हाथ थामे मेरा
इन्ह ज़िन्दगी की राहों पे.......
ज़िन्दगी की राहो पे......
हम चले है साथ मिल कर...............
(.....कृति......अनु......)

1 comment:

पंकज "प्रेम" said...

Pankaj: Bahot khoob sathi!!!
har baar ki tarah bahot achii hai yeh
itne sundar2 though aate kaha se hai