Thursday, January 8, 2009


एक बेटी का अपनी माँ को स्नहे भरा तोहफा ...............
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माँ हर एक को जीवन में सिर्फ एक बार मिलती है !
जिसे कोई उपमा न दी जाये वोह है माँ .....
जिसकी कोई सीमा नहीं वोह है माँ ........
प्रेम को भी पतझड़ ,स्पर्श ना करे वोह है माँ ..
संवेदना और स्नहे कि मूरत है माँ .....
माँ तो तपती धूप में भी ,ढंडी छावं का रूप है ,
दिव्ये गुणों से अभिभूत है माँ !
मुसीबत से बचाती है माँ......
जो गिरते भी है गलती से ,
तो उठा कर गले से लगाती है माँ ,
ना भटको कभी पथ से तुम एह बच्चो ........
ये सच्चा पढ़ पढाती है है माँ !
जिस राह पे मिले ठोकर तुझे ,
उसी राह हरगिज़ ना चल मेरे बच्चे ,
सुख कि खेती करो ,
दुखो के बीज ना बायो मेरे बच्चों !
.......
माँ कि जितनी इज्ज़त कि जाये वोह थोडी है !
हरी मूरत का रूप है माँ.........देख सको तो तो देखो .....बंधू मेरे ................
(....कृति.........अनु.....)

3 comments:

ρяєєтii said...

Maa ... ek Ehsaas hai, Ek jazsba hai, ek hakikat hai, ek fasana hai ... Maa ek satya hai ,,,
Bahot khub Anu ji ...

pawan arora said...

anu ji aap bhi ek maa hai aur maa ki pida savedana,ehssas,jajbaat,sapne,khyalaat.vicharo ka manthan jo kiya hai vah maa hi kar sakti hai ...maa maa aur maa

विवेक दुबे"निश्चल" said...

Mata teri to he bas yahi kahani aanchal me he dudh bhara or aankho me he pani. Tune to ki rachna is jag ki or janni kahlani, tu hi durga tu hi laxmi saraswati tu hi he shiv ki shivani, mata ki shakti to sab devo ne bhi he bakhani, har pal diya hi he tu ne paneki ummeed kabhi kisi se na pali , vk